Adarsh nAgarik_आदर्श नागरिक
आदर्श नागरिक हमारे समाज के आधार और शोभा हैं । उनमें अनेक गुण होते हैं । इसलिए उनका जीवन और आचरण अनुकरणीय होता है । उन पर सब को गर्व होता है ।
एक समाज, देश या राष्ट्र में सभी प्रकार के नागरिक होते हैं- बहुत अच्छे अच्छे, सामान्य बुरे और बहुत बुरे । अच्छे और आदर्श नागरिक देश को शक्ति-सम्पत्र, समृद्ध, सुखी, शांत और संगठित बनाते हैं । राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, नैतिक सभी दृष्टियों से इन नागरिकों का बड़ा महत्व होता है ।
जितनी इन आदर्श नागरिकों की संख्या, उतना ही देश भाग्यशाली । सर्वप्रथम एक आदर्श नागरिक बड़ा देशभक्त होता है । देशभक्ति का तात्पर्य है मातृभूमि व देश के लिए अटूट प्रेम, गहरा लगाव और समर्पण । लेकिन सभी नागरिक ऐसे नहीं हो सकते, न होते हैं । अनेक नागरिक राष्ट्रभक्त होने के बजाय देशद्रोही और धोखेबाज होते हैं ।
वे अपने निजी स्वार्थ के लिए कोई भी नीचा काम कर सकते हैं । ऐसे लोगे समाज के लिए कलंक हैं । हमें इन से सदा सावधान रहना चाहिये । ये लोग इंसान के वेश में शैतान होते हैं ; इसके विपरीत आदर्श नागरिक देवता स्वरूप और परम देशभक्त । युद्ध और शांति, दोनों ही स्थितियों में वे देशहित में लगे रहते हैं ।
देश के लिए, राष्ट्रहित के लिए वे अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करते । गांधी जी, नेहरू, सुभाष, लाला लाजपतराय, सरदार भगतसिंह आदि आदर्श नागरिकों के शिरोमणि थे । वे देश के जिए और देश के लिए मर गये । उनके लिए राष्ट्रभक्ति से और अधिक मूल्यवान कुछ भी नहीं था । उन्हीं के कारण आज हम स्वतंत्र हैं ।
एक आदर्श नागरिक स्वेच्छा से अनुशासन का पालन करता है । वह देश के नियमों-उपनियमों का पूरी जिम्मेंदारी स निर्वाह करता है । वह अधिकारियों की कानून और व्यवस्था बनाये रखने में सहायता करता है । वह कभी कोई ऐसा काम नहीं करता जो दूसरों के अहित में हो, देश और समाज को हानि पहुंचाने वाला हो ।
वह कभी करों की चोरी नहीं करता तथा अपनी सभी जिम्मेदारियां पूरी निष्ठा से निभाता है । इसके विपरीत बुरे नागरिक करों की चोरी करते हैं, झूठ बोलते हैं, अधिकारियों के साथ सहयोग नहीं करते और संकट के समय आगे नहीं आते ।
एक आदर्श नागरिक अपने अधिकारों और कर्त्तव्यों दोनों के प्रति सचेत होता है । परन्तु अधिकार से अधिक वह अपने कर्तव्यों के प्रति अधिक जागरुक होता है । एक आदर्श नागरिक, गृहस्थी, सरकारी कर्मचारी, व्यवसायी आदि किसी भी स्थिति में रहते हुए अपने कर्त्तव्यों का ध्यान रखता है ।
उनका जितना अच्छी तरह से हो सके निर्वाह करता है । वह कभी अपने निजी और संकीर्ण स्वार्थ की नहीं सोचता । वह न कभी कानून को अपने हाथ में लेता और न दूसरों को लेने देता है । अन्य नागरिक भी उससे प्रेरणा और निर्देश प्राप्त कर उस जैसा बनने का प्रयास करते हैं ।
एक आदर्श नागरिक चुनाव में भाग लेकर अपने मत का उचित प्रयोग करता है । वह निडर और पक्षपात-रहित होकर अपना मत उचित व्यक्ति के पक्ष में डालता है । वह अपने मत का मूल्य भलि-भांति समझता है । उसका प्रत्येक कार्य राष्ट्रहित और समाज कल्याण की भावना से प्रेरित होता है । वह दूसरों के साथ सहयोग करता है जिससे कि समाज और अच्छा, संस्कृत, समृद्ध और सुखी बन सके ।
परहित में ही वह अपना हित देखता है । एक आदर्श नागरिक सहनशील, आत्म-संयमी, सत्य बालन वाला, परिश्रमी और स्वावलम्बी होता है । वह किसी पर भार नहीं होता । अपने पैरों पर खड़ा रहकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता है और देश की समृद्धि में सहयोग देता है ।
अन्याय, हिंसा, बेईमानी, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार आदि का वह कड़ा विरोध करता है । वह सच्चे अर्थों में नैतिक और धार्मिक भी होता है और दूसरे सभी धर्म और संप्रदायों का आदर काता है । वह दूसरे संप्रदायों के लोगों के उत्सवों आदि में उत्साह से भाग लेता है ।
वह अनेक साथ पूरे भाई-चारे और सहयोग के साथ रहता है । देश के इतिहास, परम्परा, रीति-रिवाज, सांस्कृतिक धरोहर आदि में उसकी पूरी निष्ठा होती है । वह इनमें बड़े गौरव का अनुभव करते हुए उनका संरक्षण करता है, वृद्धि में सहयोग करता है ।