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Chandi Prasad Bhatt _ चंडीप्रसाद भट्ट

Chandi Prasad Bhatt _ चंडीप्रसाद भट्ट


23 जून 1934 को निर्जला एकादशी के दिन गोपेश्वर गांव (जिला चमौली) उत्तराखंड के एक गरीब परिवार में जन्मे श्री चंडी प्रसाद भट्ट सातवें दशक के प्रारंभ में सर्वोदयी विचार-धारा के संपर्क में आए |  जयप्रकाश नारायण तथा विनोबा भावे को आदर्श बनाकर अपने क्षेत्र में श्रम की प्रतिष्ठा सामाजिक समरसता, नशाबंदी और महिलाओं-दलितों को सशक्तीकऱण के द्वारा आगे बढ़ाने के काम में जुट गए। वनों का विनाश रोकने के लिए ग्रामवासियों को संगठित कर 1973 से चिपको आंदोलन आरंभ कर वनों का कटान रुकवाया। वे इस कार्य के लिये रेमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित हुए। भारत सरकारद्वारा सन २००५ में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
अद्भुत जीवट को समर्पित चंडी प्रसाद भट्ट गांधी के विचार को व्यावहारिक रूप में आगे बढ़ाने में एक सफल जन नेता के रूप में उभरे हैं। ‘चिपको आंदोलन’ के रूप में सौम्यतम अहिंसक प्रतिकार के द्वारा वृक्षों एवं पर्यावरण के अंतर्संबंधों को सशक्तता से उभार कर उन्होंने संपूर्ण विश्व को जहां एक ओर पर्यावरण के प्रति सचेत एवं संवेदनशील बनाने का अभिनव प्रयोग किया, वहीं प्रतिकार की सौम्यतम पद्धति को सफलता पूर्वक व्यवहार में उतार कर दिखाया भी है। ‘पर्वत पर्वत, बस्ती बस्ती’ चंडी प्रसाद भट्ट की बेहतरीन यात्राओं का संग्रह है।

Arputham Joaquin _ अर्पुथम जौकिन

Arputham Joaquin _ अर्पुथम जौकिन


तमिलनाडु के एस अर्पुथम की आठवीं सन्तान के रूप में जौकिन का जन्म 15 सितम्बर 1946 को कोलार गोल्ड फील्ड के अरुदयापुरम में हुआ था | जिस समय जौकिन का जन्म हुआ उनके पिता कोलार गोल्ड फील्ड में फोरमैन के रूप में काम कर रहे थे, साथ ही उन्हें पंचायत का प्रेसिडेंट भी नियुक्त किया गया था । 
जौकिन के माता-पिता कैथोलिक विचारधारा को मानने वाले थे |  जौकिन की जिन्दगी बेहद उतार-चढ़ाव से शुरू हुई थी और उनका अधिकांश जीवन मुंबई की झुग्गी बस्तियों के सुधार और वहाँ के वासियों की समस्याओं से और उनके अधिकारों के संघर्ष में बीता | वर्ष 1969 में जौकिन ने मुम्बई स्लम डवैलर्स फेडरेशन का गठन किया और यह निर्णय लिया कि वह इस संस्था का रजिस्ट्रेशन वगैरह नहीं कराएँगे, बस काम करेंगे ।
1974 में यह मुम्बई स्लम ड्‌वैलर्स फेडरेशन विकसित होकर नेशनल स्लम ड्‌वैलर्स फेडरेशन (NSDF) बन गई । 1976 में वह फिलीपींस चले गए । फिलीपींस में जौकिन ने मनीला में टौण्डो फोर शेयर एरिया में झुग्गी प्रबन्धन की ट्रेनिंग ली । उन्होंने फिलीपींस इक्यूमीनिकल काउंसिल फॉर कम्युनिटी आर्गेनाइजेशन से भी जानकारी जुटाई और पूरी तरह सीख-समझकर 1978 में वह फिर भारत लौटे । फिलीपींस से लौटने के बाद 1980 के दशक में जौकिन के स्लम सुधार कार्यक्रम का विस्तार हुआ और NSDF की साझेदारी ‘सोसायटी फॉर द प्रोमोशन ऑफ एरिया रिसोर्स सेंटर-‘SPARC’ तथा ‘महिला मिलन’ संस्थाओं से हुई । 1984 के आस-पास, NSDF के साथ बहुत से दूसरे NGOs का साथ जुड़ गया । 
गाँधीवादी विचारों से प्रेरित जौकिन ने अपने आन्दोलनों से झुग्गी बस्ती में बसने वाले लोगों के जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन कर दिखाए और उनके इसी संकल्प के लिए उन्हें वर्ष 2000 का मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किया गया |

Laxminarayan Ramdas _ लक्ष्मीनारायण रामदास

Laxminarayan Ramdas _ लक्ष्मीनारायण रामदास


नाम : लक्ष्मीनारायण रामदास
जन्म : 5 सितम्बर (1933)
जन्मस्थान : (मुम्बई)
उपलब्धियां : मैग्सेसे पुरस्कार (2004) |
लक्ष्मीनारायण रामदास का जन्म 5 सितम्बर, 1933 में मुम्बई में हुआ था । भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय वह दिल्ली में थे । लक्ष्मीनारायण शिक्षा पूरी करने के बाद फौज की नौकरी के लिए ‘इण्डियन आर्म्ड फोर्स एकेडमी देहरादून’ द्वारा चुने गए और उन्हें रॉयल नेवल कॉलेज डार्टमाउथ इंग्लैण्ड में प्रशिक्षण के लिए भेज दिया गया । वहाँ से प्रशिक्षित होने के बाद लक्ष्मीनारायण ने कमीशंड अधिकारी के रूप में 1 सितम्बर 1953 को भारतीय नौसेना में कदम रखा । नौसेना में काम करते हुए लक्ष्मीनारायण कोच्चि, केरला की नेवल एकेडमी के प्रमुख भी रहे | 1990 में लक्ष्मीनारायण रामदास, क्रमश: पदोन्नति पाते हुए नौसेना के प्रमुख के पद पर पहुँच गए थे । वर्ष 1993 में लक्ष्मीनारायण रामदास नौसेना से पदमुक्त हुए तथा उन्होंने एक पाकिस्तानी नागरिक को अपने दामाद के रूप में चुना । 
1993 में ही, पाकिस्तान के एक पत्रकार अब्दुर्रहमान एक नए विचार के साथ उभरे ।  रहमान तथा लक्ष्मीनारायण रामदास ने मिलकर ‘पाकिस्तान इण्डिया पीपुल्स फॉरम फॉर पीस एण्ड ड्रेमोकेसी’ की स्थापना की । इस संस्था के पाकिस्तान की ओर से रहमान, संस्थापक अध्यक्ष बने तथा उन्होंने लक्ष्मीनारायण रामदास को इसकी भारतीय शाखा का उपाध्यक्ष मनोनीत किया । इस तरह 1996 से इन दोनों की जोड़ी ने काम शुरू किया । 
भारत की आजादी के बाद हुए देश के विभाजन ने भारत तथा नए बने देश पाकिस्तान के बीच वैमनस्य तथा अशान्ति का एक अटूट वातावरण बना दिया था । कश्मीर के मुद्दे ने भी इस स्थिति को और हवा दी और दोनों देशों के बीच सम्बन्ध सह्य और सामान्य नहीं हो पाए | अशान्ति और आपसी वैर-भाव बढ़ता गया । बांग्लादेश के पाकिस्तान से अलग होने ने भी इस तनाव को और गहरा किया । इस तरह हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच कटु सम्बधों ने राजनैतिक रूप से दोनों देशों की शान्ति को प्रभावित किया । ऐसे में पाकिस्तान के अब्दुर्रहमान तथा भारत के लक्ष्मीनारायण रामदास ने संविद रुप से दोनों देशों के हित में  ‘पाकिस्तान इण्डिया फोरम फॉर पीस एण्ड डेमोक्रेसी’ का गठन किया और दोनों देशों के बीच राजनैतिक भेदभाव भूलकर शान्ति तथा लोकतन्त्र बनाने की दिशा में काम करने लगे | इन दोनों की इस साझा कोशिश के लिए, जो कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर शान्ति कायम करने का एक कदम था, इन दोनों को संयुक्त रूप से वर्ष 2004 का मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किया गया ।