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विश्‍व पर्यावरण दिवस_1

Narendra Modi speech on World Environmental Day :: प्रधानमंत्री _ विश्‍व पर्यावरण दिवस

प्रधानमंत्री ने विश्‍व पर्यावरण दिवस पर शुभकामनाएं दीं, धरती मां को स्‍वच्‍छ और हरित बनाने के लिए लोगों की भागीदारी बढ़ाने का आह्वान किया |

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज विश्‍व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अपनी शुभकामनाएं दीं और पर्यावरण संरक्षण के संबंध में अपने विचार प्रकट करते हुए उन्‍होंने धरती को हरा भरा बनाने की जरूरत पर बल दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्‍व पर्यावरण दिवस हमें धरती मां के लिए समर्पित होने और पर्यावरण संरक्षण तथा इसे अधिक स्‍वच्‍छ और हरित बनाने की हमारी जिम्‍मेदारी की याद दिलाता है। पर्यावरण के साथ पूरी तरह साहचर्य में जीवन को प्रोत्‍साहित करने वाली हमारी संस्‍कृति का स्‍वागत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि हमें इस तरह की संस्‍कृति का हिस्‍सा बनने का सौभाग्‍य प्राप्‍त हुआ है। उन्‍होंने हर व्‍यक्ति से एक ट्रस्‍टी के रूप में कार्य करने का आह्वान किया, जिससे हम न सिर्फ मौजूदा विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर सकेंगे बल्कि आगामी पीढि़यों के लिए खुशहाली सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर सकेंगे।

प्रधानमंत्री ने स्‍वच्‍छ और हरित धरती के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ लोगों की भागीदारी की जरूरत पर भी बल दिया। उन्‍होंने लोगों से यह सुनिश्चित करने की अपील भी की कि दैनिक जीवन में उनका प्रत्‍येक कदम प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर केंद्रित होना चाहिए।

vishwa shram diwas _ विश्व श्रम दिवस

vishwa shram diwas _ विश्व श्रम दिवस

 


'विश्व श्रमिक दिवस' या 'मज़दूर दिवस' अर्थात् मई दिवस (May Day) 1 मई को सारे विश्व में मनाया जाता है। मई दिवस 1886 में शिकागो में आरंभ हुआ। श्रमिक मांग कर रहे थे कि काम की अवधि आठ घंटे हो और सप्ताह में एक दिन का अवकाश हो। इस दिन श्रमिक हड़ताल पर थे। इस हड़ताल के दौरान एक अज्ञात व्यक्ति ने बम फोड़ दिया तत्पश्चात् पुलिस गोलाबारी में कुछ मजदूर मारे गए, साथ ही कुछ पुलिस अफसर भी मारे गए।

 1889 में पेरिस में अंतर्राष्ट्रीय महासभा की द्वितीय बैठक में फ्रेंच क्रांति को याद करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया कि इसको अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाए, उसी समय से विश्व भर के 80 देशों में 'मई दिवस' को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता प्रदान की।

 न्यूजीलैंड में  'एक दिन आठ घंटे काम वाले आंदोलन' 1840 में नव गठित वेलिंग्टन कॉलोनी में हुआ था। यहाँ के बढ़ई सेम्युल पार्नेल (Samuel Parnell) ने दिन में आठ घंटे से अधिक काम करने पर आपत्ति जताई | 1899 में न्यूज़ीलैंड सरकार ने इस दिन को एक सार्वजनिक अवकाश के रूप में मान्यता दी और 1900 से सैंवधानिक रूप से 'लेबर डे' का सार्वजनिक अवकाश होने लगा।

 'मई दिवस' भारत में चेन्नई में 1 मई1923 ई. में पहली बार मनाया गया था। इस की शुरूआत भारतीय मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी। उन्होंने अप्रैल 1923 में भारत में मई दिवस मनाने का सुझाव दिया था, क्योंकि दुनिया भर के मज़दूर इसे मनाते थे। मद्रास में मई दिवस मनाने की अपील की गई। इस अवसर पर वहां कई जनसभाएं और जुलूस आयोजित कर मजदूरों के हितों के प्रति सभी का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया। इस प्रकार भारत में 1923 से इसे राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता दी गई।

भले ही अलग-अलग राष्ट्रों में इस दिन को मनाने का तरीका भिन्न है, किंतु इसका एकमात्र उद्देश्य मज़दूरों को मुख्य धारा में बनाए रखना है।