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majAk yA madad _ मजाक या मदद

majAk yA madad _ मजाक या मदद


  एक बूढ़ा रास्ते से कठिनता से चला जा रहा था। उस समय हवा बड़े जोरों से चल रही थी। अचानक उस बूढ़े की टोपी हवा से उड़ गई।उसके पास होकर दो लड़के स्कूल जा रहे थे।

  उनसे बूढ़े ने कहा- मेरी टोपी उड़ गई है, उसे पकड़ो। नहीं तो मैं बिना टोपी का हो जाऊंगा। वे लड़के उसकी बात पर ध्यान न देकर टोपी के उड़ने का मजा लेते हुए हंसने लगे। इतने में लीला नाम की एक लड़की, जो स्कूल में पढ़ती थी, उसी रास्ते पर आ पहुंची। उसने तुरंत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपने कपड़े से धूल झाड़कर तथा पोंछकर उस बूढ़े को दे दी।

  उसके बाद वे सब लड़के स्कूल चले गए।गुरुजी ने टोपी वाली यह घटना स्कूल की खिड़की से देखी थी। इसलिए पढ़ाई के बाद उन्होंने सब विद्यार्थियों के सामने वह टोपी वाली बात कही और लीला के काम की प्रशंसा की तथा उन दोनों लड़कों के व्यवहार पर उन्हें बहुत धिक्कारा।

  इसके बाद गुरुजी ने अपने पास से एक सुंदर चित्रों की पुस्तक उस छोटी लड़की को भेंट दी और उस पर इस प्रकार लिख दिया- लीला बहन को उसके अच्छे काम के लिए गुरुजी की ओर से यह पुस्तक भेंट की गई है। जो लड़के गरीब की टोपी उड़ती देखकर हंसे थे, वे इस घटना का देखकर बहुत लज्जित और दुखी हुए।

  नीति : हमें बड़ों की आदर और सहायता करनी चाहिए |

Old Father Story _बूढ़ा पिता कहानी

बूढ़ा पिता _कहानी

वयोवृद्धों के प्रति आदर-सम्मान संबंधी कहानी



किसी गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति अपने बेटे और बहु के साथ रहता था । परिवार सुखी संपन्न था किसी तरह की कोई परेशानी नहीं थी । बूढ़ा बाप जो किसी समय अच्छा खासा नौजवान था आज बुढ़ापे से हार गया था, चलते समय लड़खड़ाता था लाठी की जरुरत पड़ने लगी, चेहरा झुर्रियों से भर चूका था बस अपना जीवन किसी तरह व्यतीत कर रहा था।
घर में एक चीज़ अच्छी थी कि शाम को खाना खाते समय पूरा परिवार एक साथ टेबल पर बैठ कर खाना खाता था । एक दिन ऐसे ही शाम को जब सारे लोग खाना खाने बैठे । बेटा ऑफिस से आया था भूख ज्यादा थी सो जल्दी से खाना खाने बैठ गया और साथ में बहु और एक बेटा भी खाने लगे । बूढ़े हाथ जैसे ही थाली उठाने को हुए थाली हाथ से छिटक गयी थोड़ी दाल टेबल पे गिर गयी । बहु बेटे ने घृणा द्रष्टि से पिता की ओर देखा और फिर से अपना खाने में लग गए।
बूढ़े पिता ने जैसे ही अपने हिलते हाथों से खाना खाना शुरू किया तो खाना कभी कपड़ों पे गिरता कभी जमीन पर । बहु चिढ़ते हुए कहा – हे राम कितनी गन्दी तरह से खाते हैं मन करता है इनकी थाली किसी अलग कोने में लगवा देते हैं , बेटे ने भी ऐसे सिर हिलाया जैसे पत्नी की बात से सहमत हो । बेटा यह सब मासूमियत से देख रहा था ।
अगले दिन पिता की थाली उस टेबल से हटाकर एक कोने में लगवा दी गयी । पिता की डबडबाती आँखे सब कुछ देखते हुए भी कुछ बोल नहीं पा रहीं थी। बूढ़ा पिता रोज की तरह खाना खाने लगा , खाना कभी इधर गिरता कभी उधर । छोटा बच्चा अपना खाना छोड़कर लगातार अपने दादा की तरफ देख रहा था । माँ ने पूछा क्या हुआ बेटे तुम दादा जी की तरफ क्या देख रहे हो और खाना क्यों नहीं खा रहे । बच्चा बड़ी मासूमियत से बोला – माँ मैं सीख रहा हूँ कि वृद्धों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, जब मैं बड़ा हो जाऊँगा और आप लोग बूढ़े हो जाओगे तो मैं भी आपको इसी तरह कोने में खाना खिलाया करूँगा ।
बच्चे के मुँह से ऐसा सुनते ही बेटे और बहु दोनों काँप उठे शायद बच्चे की बात उनके मन में बैठ गयी थी क्युकी बच्चा ने मासूमियत के साथ एक बहुत बढ़ा सबक दोनों लोगो को दिया था ।
बेटे ने जल्दी से आगे बढ़कर पिता को उठाया और वापस टेबल पे खाने के लिए बिठाया और बहु भी भाग कर पानी का गिलास लेकर आई कि पिताजी को कोई तकलीफ ना हो ।
नीति नीति : माँ बाप इस दुनियाँ की सबसे बड़ी पूँजी हैं आप समाज में कितनी भी इज्जत कमा लें या कितना भी धन इकट्ठा कर लें लेकिन माँ बाप से बड़ा धन इस दुनिया में कोई नहीं है यही इस कहानी की शिक्षा है|


Photo source:gettyimages