लहर सागर का नहीं श्रृंगार, उसकी विकलता है; अनिल अम्बर का नहीं, खिलवार उसकी विकलता है; विविध रूपों में हुआ साकार, रंगो में सुरंजित, मृत्तिका का यह नहीं संसार, उसकी विकलता है।
गन्ध कलिका का नहीं उद्गार, उसकी विकलता है; फूल मधुवन का नहीं गलहार, उसकी विकलता है; कोकिला का कौन-सा व्यवहार, ऋतुपति को न भाया? कूक कोयल की नहीं मनुहार, उसकी विकलता है।
गान गायक का नहीं व्यापार, उसकी विकलता है; राग वीणा की नहीं झंकार, उसकी विकलता है; भावनाओं का मधुर आधार सांसो से विनिर्मित, गीत कवि-उर का नहीं उपहार, उसकी विकलता है।
sAgar dAdA_सागर दादा
sAgar dAdA_सागर दादा
Poetry on Ocean (sAgar)::सागर पर कविता
सागर दादा, सागर दादा,
नदियों झीलों के परदादा।
तुम नदियों को पास बुलाते,
ल…Read More
O sAgar _ ओ सागर
O sAgar! mai tumsE _ ओ सागर !
मैं तुमसे
Poetry on Ocean (sAgar)::सागर पर कविता
नदियां,
बहकर आती नदियां,
हेल मेलती, खेल खेलती
नदियां।
सागर,…Read More
sAgar mughE apnE_सागर मुझे अपने
sAgar mughE apnE_सागर मुझे अपने
Poetry on Ocean (sAgar)::सागर पर कविता
सागर मुझे अपने
सीने पर बिठाये रखता है
अपनी लहरों के फन पर
उसने खुद…Read More
sAgar kI lahar mE_सागर की लहर में
sAgar kI lahar mE_सागर की लहर में
Poetry on Ocean (sAgar)::सागर पर कविता
सागर की लहर लहर में
है हास स्वर्ण किरणों का,
सागर के अंतस्…Read More