O sAgar _ ओ सागर

O sAgar! mai tumsE _ ओ सागर ! मैं तुमसे

Poetry on Ocean (sAgar)::सागर पर कविता










नदियां,
बहकर आती नदियां,
हेल मेलती, खेल खेलती
नदियां।
सागर,
उनसे बना है सागर ।
विस्तीर्ण, प्रगाढ़, नीला
लहरीला सागर।
सुनो सागर !
ओ सागर !
मैं तुमसे प्रेम करता हूँ।
आओ,
सहज ही लिपट जाओ मुझसे
अपने नेह के भुजबल में
आलिंगनबद्ध कर लो।
श्यामल सागर !
मोती ओर मूंगे के कानों वाले
ओ सागर,
मछली की तड़प लेकर आया हूँ
लौटा न देना।
सागर,
खामोश सागर !
उदास सागर !
नदियां,
बोलती हैं नदियां,
कहाँ है सागर ?
कौन कहे,
कहाँ है सागर !

- माया मृग
संग्रह: ...कि जीवन ठहर न जाए /

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