Showing posts with label bAdal. Show all posts
Showing posts with label bAdal. Show all posts

pAnI lEkar bAdal_पानी लेकर बादल

pAnI lEkar bAdal_पानी लेकर बादल

Poetry on bAdal ::बादल पर कविता











पानी लेकर बादल आए,
आसमान पर जमकर छाए।

रिमझिम-रिमझिम बरसेंगे,
गढ़-गढ़कर बादल गाए।

पेड़, पौधे, वृक्ष जहां मिलेंगे
वहां बरसे, बादल इतराए।

मन मयूर सबका नाचे
बादल भी नाचे, शरमाए।

जल ही तो जीवन है
जीवन अपना खूब लुटाए।

- ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'

AvO pyArE bAdal_आओ प्यारे बादलजी

AvO pyArE bAdal_आओ प्यारे बादलजी

Poetry on Rain ::बारिश पर कविता
















ताल-तलैया भरो लबालब
कुएं-बावड़ी भरो डबाडब
उछले नदी छलाछलजी
आओ प्यारे बादलजी

गर्जन-तर्जन करो ढमाढम
बिजली नर्तन करो चमाचम
धरा बजाए मादलजी
आओ प्यारे बादलजी

खेतों में फसलें मुस्काएं
ठंडी हवा झूम लहराएं
जैसे मां का आंचलजी
आओ प्यारे बादलजी

टर्र-टर्र मेंढक बोले
पीहू-पपीहा रस घोले
मोर हुआ है पागलजी
आओ प्यारे बादलजी

जल अमोल है हम समझें
इसे सहेजना हम समझें
घन बरसे हैं श्यामलजी
आओ प्यारे बादलजी

बूंदें बरसें सुधा समान
सप्त स्वरों की गूंजे तान
मिश्री घोले कोयलजी
आओ प्यारे बादलजी।

- डॉ. सुधा गुप्ता 'अमृता'|

badE jOr kE bAdal_बड़े जोर के बादल

badE jOr kE bAdal_बड़े जोर के बादल

Poetry on Rain ::बारिश पर कविता















बड़े जोर के बादल आए
बड़े जोर का पानी॥

अभी खिली थी धूप सुनहरी
चलती थी पुरवैया।
नीलम गाती गीत बाजती
ननमुन की पायलिया॥
बीन रही थी गेहूं आंगन
बैठी बूढ़ी नानी।

टप-टप टप-टप गिरी टपाटप
मोटी-मोटी बूंदें।
लगता जैसे टीन छतों पर
हिरणें आकर कूदे॥
दादी-अम्मा की डूबी है
बाहर रखी मथानी।
छप्पर-छान टपकते बहते
छत वाले परनाले।
गिरती हैं कच्ची दीवारें
हैं प्राणों के लाले॥

कैसे घर ये बने दुबारा
जेब न कौड़ी कानी।

-शोभा शर्मा