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tU pyAr kA sAgar hai_तू प्यार का सागर है

tU pyAr kA sAgar hai_तू प्यार का सागर है

Poetry on Ocean (sAgar)::सागर पर कविता









तू प्यार का सागर है,
तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बून्द के प्यासे हम,
तेरी एक बून्द के प्यासे हम,

लौटा जो दिया तूने,
लौटा जो दिया तूने,
चले जाएंगे जहां से हम,
चले जाएंगे जहां से हम,
तू प्यार का सागर है,
तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बून्द के प्यासे हम,
तेरी एक बून्द के प्यासे हम,
तू प्यार का सागर है,

घायल मन का पागल पन्छी,
उड़ने को बेकरार,
उड़ने को बेकरार,
पंख है कोमल आंख है धुंधली,
जाना है सागर पार,
जाना है सागर पार,
अब तू ही इसे समझा,
अब तू ही इसे समझा,
राह भूले थे कहाँ से हम,
राह भूले थे कहाँ से हम,
तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बून्द के प्यासे हम,
तू प्यार का सागर है,

इधर झूम के गाये ज़िन्दगी,
उधर है मौत खडी,
उधर है मौत खडी,
कोई क्या जाने कहाँ है सीमा,
उलझन आन पडी,
उलझन आन पडी,
कानों मे जरा कह दे,
कानों मे जरा कह दे,
कि आये कौन दिशा से हम,
कि आये कौन दिशा से हम,
तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बून्द के प्यासे हम,
तेरी एक बून्द के प्यासे हम,
तू प्यार का सागर है,
तू प्यार का सागर है |

AyI barkhA rAnI_आई बरखा रानी

AyI barkhA rAnI_आई बरखा रानी

Poetry on Rain :: बारिश पर कविता



धूप कहीं भागी पिछवाड़े 
छम से आया पानी।
बूंदों के सिक्के उछालती
आई बरखा रानी॥
हवा चली पुरवाई, नभ में
छाई श्याम बदरिया।
बादल लगे गरजने गड़-गड़
चमक रही बिजुरिया॥
झूम-झूम के अाँगन अपनी
भीग नहाती नानी।
खेत भरे भर आई नदिया
भरती ताल-तलैया।
आम नीम महुआ हरियाए
हरियाई है बगिया॥
मौसम आया रिमझिम वाला
लहरे चूनर पानी।
मोर नाचने लगे कुहुक के 
गाती है कोयलिया।
कछुए, बगुले, मेंढक खुश हैं
खुश हैं सोन-मछरिया॥
दोनों हाथ लुटाते दौलत 
बादल भैया दानी।

- शोभा शर्मा

badE jOr kE bAdal_बड़े जोर के बादल

badE jOr kE bAdal_बड़े जोर के बादल

Poetry on Rain ::बारिश पर कविता















बड़े जोर के बादल आए
बड़े जोर का पानी॥

अभी खिली थी धूप सुनहरी
चलती थी पुरवैया।
नीलम गाती गीत बाजती
ननमुन की पायलिया॥
बीन रही थी गेहूं आंगन
बैठी बूढ़ी नानी।

टप-टप टप-टप गिरी टपाटप
मोटी-मोटी बूंदें।
लगता जैसे टीन छतों पर
हिरणें आकर कूदे॥
दादी-अम्मा की डूबी है
बाहर रखी मथानी।
छप्पर-छान टपकते बहते
छत वाले परनाले।
गिरती हैं कच्ची दीवारें
हैं प्राणों के लाले॥

कैसे घर ये बने दुबारा
जेब न कौड़ी कानी।

-शोभा शर्मा