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Laxminarayan Ramdas _ लक्ष्मीनारायण रामदास

Laxminarayan Ramdas _ लक्ष्मीनारायण रामदास


नाम : लक्ष्मीनारायण रामदास
जन्म : 5 सितम्बर (1933)
जन्मस्थान : (मुम्बई)
उपलब्धियां : मैग्सेसे पुरस्कार (2004) |
लक्ष्मीनारायण रामदास का जन्म 5 सितम्बर, 1933 में मुम्बई में हुआ था । भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय वह दिल्ली में थे । लक्ष्मीनारायण शिक्षा पूरी करने के बाद फौज की नौकरी के लिए ‘इण्डियन आर्म्ड फोर्स एकेडमी देहरादून’ द्वारा चुने गए और उन्हें रॉयल नेवल कॉलेज डार्टमाउथ इंग्लैण्ड में प्रशिक्षण के लिए भेज दिया गया । वहाँ से प्रशिक्षित होने के बाद लक्ष्मीनारायण ने कमीशंड अधिकारी के रूप में 1 सितम्बर 1953 को भारतीय नौसेना में कदम रखा । नौसेना में काम करते हुए लक्ष्मीनारायण कोच्चि, केरला की नेवल एकेडमी के प्रमुख भी रहे | 1990 में लक्ष्मीनारायण रामदास, क्रमश: पदोन्नति पाते हुए नौसेना के प्रमुख के पद पर पहुँच गए थे । वर्ष 1993 में लक्ष्मीनारायण रामदास नौसेना से पदमुक्त हुए तथा उन्होंने एक पाकिस्तानी नागरिक को अपने दामाद के रूप में चुना । 
1993 में ही, पाकिस्तान के एक पत्रकार अब्दुर्रहमान एक नए विचार के साथ उभरे ।  रहमान तथा लक्ष्मीनारायण रामदास ने मिलकर ‘पाकिस्तान इण्डिया पीपुल्स फॉरम फॉर पीस एण्ड ड्रेमोकेसी’ की स्थापना की । इस संस्था के पाकिस्तान की ओर से रहमान, संस्थापक अध्यक्ष बने तथा उन्होंने लक्ष्मीनारायण रामदास को इसकी भारतीय शाखा का उपाध्यक्ष मनोनीत किया । इस तरह 1996 से इन दोनों की जोड़ी ने काम शुरू किया । 
भारत की आजादी के बाद हुए देश के विभाजन ने भारत तथा नए बने देश पाकिस्तान के बीच वैमनस्य तथा अशान्ति का एक अटूट वातावरण बना दिया था । कश्मीर के मुद्दे ने भी इस स्थिति को और हवा दी और दोनों देशों के बीच सम्बन्ध सह्य और सामान्य नहीं हो पाए | अशान्ति और आपसी वैर-भाव बढ़ता गया । बांग्लादेश के पाकिस्तान से अलग होने ने भी इस तनाव को और गहरा किया । इस तरह हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच कटु सम्बधों ने राजनैतिक रूप से दोनों देशों की शान्ति को प्रभावित किया । ऐसे में पाकिस्तान के अब्दुर्रहमान तथा भारत के लक्ष्मीनारायण रामदास ने संविद रुप से दोनों देशों के हित में  ‘पाकिस्तान इण्डिया फोरम फॉर पीस एण्ड डेमोक्रेसी’ का गठन किया और दोनों देशों के बीच राजनैतिक भेदभाव भूलकर शान्ति तथा लोकतन्त्र बनाने की दिशा में काम करने लगे | इन दोनों की इस साझा कोशिश के लिए, जो कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर शान्ति कायम करने का एक कदम था, इन दोनों को संयुक्त रूप से वर्ष 2004 का मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किया गया ।