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rAshtrIya pakshI mOr _ राष्‍ट्रीय पक्षी मोर

rAshtrIya pakshI mOr _ राष्‍ट्रीय पक्षी मोर

National Symbols of India :: भारत के राष्ट्रीय चिन्ह









1) मोर एक बहुत ही सुन्दर, आकर्षक तथा शान वाला पक्षी है।
2) भारत सरकार ने 26 जनवरी, 1963 को इसे राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया।
3) कवि कालिदास ने भी (छठी शताब्दी) इसे उस जमाने में राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया था।
4) देवी-देवताओं से सम्बन्ध होने के कारण हिन्दू समाज इसे दिव्य पक्षी मानता है ।
5) मोर देवताओं के सेनापति और शिव के पुत्र कार्तिकेय का वाहन है ।
6) मोर के सौन्दर्य से प्रभावित होकर शाहजहां ने एक मयूरासन बनवाया ।
7) इसकी दो प्रजातियां हैं-
नीला या भारतीय मोर (पैवो क्रिस्टेटस), जो भारत और श्रीलंका (भूतपूर्व सीलोन) में पाया जाता है।
हरा या जावा का मोर (पि. म्यूटिकस), जो म्यांमार (भूतपूर्व बर्मा) से जावा तक पाया जाता है।

Adarsh nAgarik_आदर्श नागरिक

Adarsh nAgarik_आदर्श नागरिक

आदर्श नागरिक हमारे समाज के आधार और शोभा हैं । उनमें अनेक गुण होते हैं । इसलिए उनका जीवन और आचरण अनुकरणीय होता है । उन पर सब को गर्व होता है ।
एक समाज, देश या राष्ट्र में सभी प्रकार के नागरिक होते हैं- बहुत अच्छे अच्छे, सामान्य बुरे और बहुत बुरे । अच्छे और आदर्श नागरिक देश को शक्ति-सम्पत्र, समृद्ध, सुखी, शांत और संगठित बनाते हैं । राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, नैतिक सभी दृष्टियों से इन नागरिकों का बड़ा महत्व होता है ।
जितनी इन आदर्श नागरिकों की संख्या, उतना ही देश भाग्यशाली । सर्वप्रथम एक आदर्श नागरिक बड़ा देशभक्त होता है । देशभक्ति का तात्पर्य है मातृभूमि व देश के लिए अटूट प्रेम, गहरा लगाव और समर्पण । लेकिन सभी नागरिक ऐसे नहीं हो सकते, न होते हैं । अनेक नागरिक राष्ट्रभक्त होने के बजाय देशद्रोही और धोखेबाज होते हैं ।
वे अपने निजी स्वार्थ के लिए कोई भी नीचा काम कर सकते हैं । ऐसे लोगे समाज के लिए कलंक हैं । हमें इन से सदा सावधान रहना चाहिये । ये लोग इंसान के वेश में शैतान होते हैं ; इसके विपरीत आदर्श नागरिक देवता स्वरूप और परम देशभक्त । युद्ध और शांति, दोनों ही स्थितियों में वे देशहित में लगे रहते हैं ।
देश के लिए, राष्ट्रहित के लिए वे अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करते । गांधी जी, नेहरू, सुभाष, लाला लाजपतराय, सरदार भगतसिंह आदि आदर्श नागरिकों के शिरोमणि थे । वे देश के जिए और देश के लिए मर गये । उनके लिए राष्ट्रभक्ति से और अधिक मूल्यवान कुछ भी नहीं था । उन्हीं के कारण आज हम स्वतंत्र हैं ।
एक आदर्श नागरिक स्वेच्छा से अनुशासन का पालन करता है । वह देश के नियमों-उपनियमों का पूरी जिम्मेंदारी स निर्वाह करता है । वह अधिकारियों की कानून और व्यवस्था बनाये रखने में सहायता करता है । वह कभी कोई ऐसा काम नहीं करता जो दूसरों के अहित में हो, देश और समाज को हानि पहुंचाने वाला हो ।
वह कभी करों की चोरी नहीं करता तथा अपनी सभी जिम्मेदारियां पूरी निष्ठा से निभाता है । इसके विपरीत बुरे नागरिक करों की चोरी करते हैं, झूठ बोलते हैं, अधिकारियों के साथ सहयोग नहीं करते और संकट के समय आगे नहीं आते ।
एक आदर्श नागरिक अपने अधिकारों और कर्त्तव्यों दोनों के प्रति सचेत होता है । परन्तु अधिकार से अधिक वह अपने कर्तव्यों के प्रति अधिक जागरुक होता है । एक आदर्श नागरिक, गृहस्थी, सरकारी कर्मचारी, व्यवसायी आदि किसी भी स्थिति में रहते हुए अपने कर्त्तव्यों का ध्यान रखता है ।
उनका जितना अच्छी तरह से हो सके निर्वाह करता है । वह कभी अपने निजी और संकीर्ण स्वार्थ की नहीं सोचता । वह न कभी कानून को अपने हाथ में लेता और न दूसरों को लेने देता है । अन्य नागरिक भी उससे प्रेरणा और निर्देश प्राप्त कर उस जैसा बनने का प्रयास करते हैं ।
एक आदर्श नागरिक चुनाव में भाग लेकर अपने मत का उचित प्रयोग करता है । वह निडर और पक्षपात-रहित होकर अपना मत उचित व्यक्ति के पक्ष में डालता है । वह अपने मत का मूल्य भलि-भांति समझता है । उसका प्रत्येक कार्य राष्ट्रहित और समाज कल्याण की भावना से प्रेरित होता है । वह दूसरों के साथ सहयोग करता है जिससे कि समाज और अच्छा, संस्कृत, समृद्ध और सुखी बन सके ।
परहित में ही वह अपना हित देखता है । एक आदर्श नागरिक सहनशील, आत्म-संयमी, सत्य बालन वाला, परिश्रमी और स्वावलम्बी होता है । वह किसी पर भार नहीं होता । अपने पैरों पर खड़ा रहकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता है और देश की समृद्धि में सहयोग देता है ।
अन्याय, हिंसा, बेईमानी, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार आदि का वह कड़ा विरोध करता है । वह सच्चे अर्थों में नैतिक और धार्मिक भी होता है और दूसरे सभी धर्म और संप्रदायों का आदर काता है । वह दूसरे संप्रदायों के लोगों के उत्सवों आदि में उत्साह से भाग लेता है ।
वह अनेक साथ पूरे भाई-चारे और सहयोग के साथ रहता है । देश के इतिहास, परम्परा, रीति-रिवाज, सांस्कृतिक धरोहर आदि में उसकी पूरी निष्ठा होती है । वह इनमें बड़े गौरव का अनुभव करते हुए उनका संरक्षण करता है, वृद्धि में सहयोग करता है ।

Beauty of Nature - प्राकृतिक सौंदर्य

Beauty of Nature Poetry - प्राकृतिक सौंदर्य कविता











नावें और जहाज नदी नद
     सागर-तल पर तरते हैं।
पर नभ पर इनसे भी सुंदर
     जलधर-निकर विचरते हैं॥
इंद्र-धनुष जो स्वर्ग-सेतु-सा
     वृक्षों के शिखरों पर है।
जो धरती से नभ तक रचता
     अद्भुत मार्ग मनोहर है॥
मनमाने निर्मित नदियों के
    पुल से वह अति सुंदर है।
निज कृति का अभिमान व्यर्थ ही
    करता अविवेकी नर है।


 ~ रामनरेश त्रिपाठी (मानसी )

Nature's beauty _ प्रकृति की सुन्दरता

Nature's beauty _ प्रकृति की सुन्दरता









प्रकृति की सुन्दरता देखो
बिखरी चारों ओर है
कहीं पर पीपल कहीं अशोक
कहीं पर बरगद घोर है

लाल गुलाब से सुर्ख है
देखो धरती के दोनों गाल
लिली मोगरा और चमेली
मचा रहे है धमाल

देखो हिम से भरा हिमालय
नंदा की ऊँची पर्वत चोटी
कल कल करती बहती देखो
गंगा यमुना की निर्मल सोती

प्रकृति ने हम सबको दिया
जीवन का अनुपम संदेश
आओ मिटाए मन की दूरी
दूर हटाये कष्ट कलेश !


~ रवि प्रकाश केशरी

chandr (Moon) _ चन्द्र

chandr (Moon) poetry _ चन्द्र (चाँद) कविता








ये सर्व वीदित है चन्द्र
किस प्रकार लील लिया है
तुम्हारी अपरिमित आभा ने
भूतल के अंधकार को
क्यूँ प्रतीक्षारत हो
रात्रि के यायावर के प्रतिपुष्टि की
वो उनका सत्य है
यामिनी का आत्मसमर्पण
करता है तुम्हारे विजय की घोषणा
पाषाण-पथिक की ज्योत्सना अमर रहे
युगों से इंगित कर रही है
इला की सुकुमार सुलोचना
नही अधिकार चंद्रकिरण को
करे शशांक की आलोचना



~ सुलोचना वर्मा

prakriti_प्रकृति

prakriti - प्रकृति

Poetry on Nature ::प्रकृति पर कविता



प्रकृति
सुन्दर रूप इस धरा का,
आँचल जिसका नीला आकाश,
पर्वत जिसका ऊँचा मस्तक,
उस पर चाँद सूरज की बिंदियों का ताज
नदियों-झरनो से छलकता यौवन
सतरंगी पुष्प-लताओं ने किया श्रृंगार
खेत-खलिहानों में लहलाती फसले
बिखराती मंद-मंद मुस्कान
हाँ, यही तो हैं,……
इस प्रकृति का स्वछंद स्वरुप
प्रफुल्लित जीवन का निष्छल सार II


~ डी. के. निवतियाँ