Hindi Grammar before The Sepoy Rebellion of 1857

Hindi Grammar before The Sepoy Rebellion of 1857 -
सिपाही विद्रोह (1857) के पूर्व उन्नीसवीं शताब्दी के हिन्दी व्याकरण

इस अवधि में प्रकाशित व्याकरणों की विस्तृत सूची ग्रियर्सन ने Languistic Survey of India, Vol. IX, Part 1 में दी है । यहाँ कुछ व्याकरणों का ही उल्लेख किया जायेगा । सन् 1801 में हेरासिम लेबेदेफ़ द्वारा लिखित "A Grammar of the pure and mixed East Indian Dialects" लंदन से प्रकाशित हुआ ।17 इसमें लेखक ने अपनी जीवनी भी दी है । 'प्रेमसागर' के रचयिता लल्लू लाल का ब्रज भाखा व्याकरण सन् 1811 में कलकत्ते से प्रकाशित हुआ । जॉन शेक्सपियर का "A Grammar of the Hindustani Language" लंदन से 1813 में छपा (पाँचवा संस्करण 1846 में, और बाद में 1858 में) कैप्टन विलियम प्राइस का "A new Grammar of the Hindustani Language" लंदन से 1827 में प्रकाशित हुआ । विलियम याटेस का "Introduction to the Hindustani Language" कलकत्ते से 1827 में छपा, जिसका छठा संस्करण 1855 में प्रकाशित हुआ । इसका 1836 का संस्करण डेक्कन कॉलेज, पुणे के पुस्तकालय में उपलब्ध है । इसकी भूमिका में लेखक का कहना है कि हिन्दुस्तानी मुस्लिम लोगों की भाषा है, जबकि हिन्दी हिन्दुओं की । रेवरेंड एम टी ऐडम का "हिन्दी भाषा का व्याकरण" कलकत्ते से 1827 में प्रकाशित हुआ । यह व्याकरण प्रश्न एवं उत्तर के रूप में बच्चों के लिए लिखा गया था । यह पुस्तक कई वर्षों तक स्कूलों में प्रचलित रही ।

W. एण्ड्रू का A Comprehensive synopsis of the eiements of Hindustani Grammar और सैन्फोर्ड आर्नोट का A new self-instructing grammar of the Hindustani tongue लंदन में क्रमशः 1930 एवं 1931 में प्रकाशित हुआ । Garcin de Tassy और Joseph Heliodore ने मिलकर फ्रेंच भाषा में हिन्दुस्तानी और हिन्दवी (Hindui) दोनों के व्याकरण लिखे जो क्रमशः 1824 एवं 1847 में पेरिस से प्रकाशित हुआ । जेम्स वेलन्टाइन के Grammar of Hindustani Language (1838) एवं Elements of Hindi and Braj Bhakha (1839) लंदन से प्रकाशित हुए । किसी अज्ञात लेखक का Introduction to the Hindustanee Grammar मद्रास से 1842 में छपा और दूसरा संस्करण 1851 में ।

डंकन फोर्बेस ने 1845 में "The Hindustani Manual" लिखा जो लन्दन से प्रकाशित हुआ । इसका 1858 का संस्करण "Grammar of Hinduatani Language" डेक्कन कॉलेज, पुणे में उपलब्ध है । देवी प्रसाद का "Polyglot Grammar and Exercises in Persian, English, Arabic, Hindee, Oordoo and Bengali" कलकत्ते से 1854 में प्रकाशित हुआ ।