21. पद-परिचय (pad-parichay)
पद-परिचय :-
वाक्यगत शब्दों के रूप और उनका
पारस्परिक संबंध बताने में जिस
प्रक्रिया की आवश्यकता पड़ती है वह पद-परिचय या शब्दबोध कहलाता है।
परिभाषा :-
वाक्यगत प्रत्येक पद (शब्द) का व्याकरण की दृष्टि से पूर्ण परिचय
देना ही पद-परिचय कहलाता है।
शब्द आठ प्रकार के होते हैं-
1.संज्ञा :- भेद, लिंग, वचन, कारक, क्रिया अथवा अन्य शब्दों से संबंध।
2.सर्वनाम :- भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक, क्रिया अथवा अन्य शब्दों से संबंध। किस संज्ञा के स्थान पर आया है (यदि पता हो)।
3.क्रिया :- भेद, लिंग, वचन, प्रयोग, धातु, काल, वाच्य, कर्ता और कर्म से संबंध।
4.विशेषण :- भेद, लिंग, वचन और विशेष्य की विशेषता।
5.क्रिया-विशेषण :- भेद, जिस क्रिया की विशेषता बताई गई हो उसके बारे में निर्देश।
6.संबंधबोधक :- भेद, जिससे संबंध है उसका निर्देश।
7.समुच्चयबोधक :- भेद, अन्वित शब्द, वाक्यांश या वाक्य।
8.विस्मयादिबोधक :- भेद अर्थात कौन-सा भाव स्पष्ट कर रहा है।
1.संज्ञा :- भेद, लिंग, वचन, कारक, क्रिया अथवा अन्य शब्दों से संबंध।
2.सर्वनाम :- भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक, क्रिया अथवा अन्य शब्दों से संबंध। किस संज्ञा के स्थान पर आया है (यदि पता हो)।
3.क्रिया :- भेद, लिंग, वचन, प्रयोग, धातु, काल, वाच्य, कर्ता और कर्म से संबंध।
4.विशेषण :- भेद, लिंग, वचन और विशेष्य की विशेषता।
5.क्रिया-विशेषण :- भेद, जिस क्रिया की विशेषता बताई गई हो उसके बारे में निर्देश।
6.संबंधबोधक :- भेद, जिससे संबंध है उसका निर्देश।
7.समुच्चयबोधक :- भेद, अन्वित शब्द, वाक्यांश या वाक्य।
8.विस्मयादिबोधक :- भेद अर्थात कौन-सा भाव स्पष्ट कर रहा है।