17. शब्द-रचना (Sabd-rachanA)
शब्द-रचना :-
हम स्वभावतः भाषा-व्यवहार में कम-से-कम शब्दों का प्रयोग करके अधिक-से-अधिक काम चलाना चाहते हैं। अतः शब्दों के आरंभ अथवा अंत में कुछ जोड़कर अथवा उनकी मात्राओं या स्वर में कुछ परिवर्तन करके नवीन-से-नवीन अर्थ-बोध कराना चाहते हैं। कभी-कभी दो अथवा अधिक शब्दांशों को जोड़कर नए अर्थ-बोध को स्वीकारते हैं। इस तरह एक शब्द से कई अर्थों की अभिव्यक्ति हेतु जो नए-नए शब्द बनाए जाते हैं उसे शब्द-रचना कहते हैं।
शब्द रचना के चार प्रकार हैं-
1. उपसर्ग लगाकर
2. प्रत्यय लगाकर
3. संधि द्वारा
4. समास द्वारा
हम स्वभावतः भाषा-व्यवहार में कम-से-कम शब्दों का प्रयोग करके अधिक-से-अधिक काम चलाना चाहते हैं। अतः शब्दों के आरंभ अथवा अंत में कुछ जोड़कर अथवा उनकी मात्राओं या स्वर में कुछ परिवर्तन करके नवीन-से-नवीन अर्थ-बोध कराना चाहते हैं। कभी-कभी दो अथवा अधिक शब्दांशों को जोड़कर नए अर्थ-बोध को स्वीकारते हैं। इस तरह एक शब्द से कई अर्थों की अभिव्यक्ति हेतु जो नए-नए शब्द बनाए जाते हैं उसे शब्द-रचना कहते हैं।
शब्द रचना के चार प्रकार हैं-
1. उपसर्ग लगाकर
2. प्रत्यय लगाकर
3. संधि द्वारा
4. समास द्वारा
उपसर्ग - Prefix
वे शब्दांश जो किसी शब्द के आरंभ में लगकर
उनके अर्थ में विशेषता ला देते
हैं अथवा उसके अर्थ को बदल देते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं।
जैसे-परा-पराक्रम, पराजय, पराभव, पराधीन, पराभूत।
उपसर्गों को चार भागों में बाँटा जा सकता हैं-
(क) संस्कृत के उपसर्ग
(ख) हिन्दी के उपसर्ग
(ग) उर्दू के उपसर्ग
(घ) उपसर्ग की तरह प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय
उपसर्गों को चार भागों में बाँटा जा सकता हैं-
(क) संस्कृत के उपसर्ग
(ख) हिन्दी के उपसर्ग
(ग) उर्दू के उपसर्ग
(घ) उपसर्ग की तरह प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय
(क) संस्कृत के उपसर्ग
उपसर्ग | अर्थ (में) | शब्द-रूप |
अति | अधिक, ऊपर | अत्यंत, अत्युत्तम, अतिरिक्त |
अधि | ऊपर, प्रधानता | अधिकार, अध्यक्ष, अधिपति |
अनु | पीछे, समान | अनुरूप, अनुज, अनुकरण |
अप | बुरा, हीन | अपमान, अपयश, अपकार |
अभि | सामने, अधिक पास | अभियोग, अभिमान, अभिभावक |
अव | बुरा, नीचे | अवनति, अवगुण, अवशेष |
आ | तक से, लेकर, उलटा | आजन्म, आगमन, आकाश |
उत् | ऊपर, श्रेष्ठ | उत्कंठा, उत्कर्ष, उत्पन्न |
उप | निकट, गौण | उपकार, उपदेश, उपचार, उपाध्यक्ष |
दुर् | बुरा, कठिन | दुर्जन, दुर्दशा, दुर्गम |
दुस् | बुरा | दुश्चरित्र, दुस्साहस, दुर्गम |
नि | अभाव, विशेष | नियुक्त, निबंध, निमग्न |
निर् | बिना | निर्वाह, निर्मल, निर्जन |
निस् | बिना | निश्चल, निश्छल, निश्चित |
परा | पीछे, उलटा | परामर्श, पराधीन, पराक्रम |
परि | सब ओर | परिपूर्ण, परिजन, परिवर्तन |
प्र | आगे, अधिक, उत्कृष्ट | प्रयत्न, प्रबल, प्रसिद्ध |
प्रति | सामने, उलटा, हरएक | प्रतिकूल, प्रत्येक, प्रत्यक्ष |
वि | हीनता, विशेष | वियोग, विशेष, विधवा |
सम् | पूर्ण, अच्छा | संचय, संगति, संस्कार |
सु | अच्छा, सरल | सुगम, सुयश, स्वागत |
(ख) हिन्दी के उपसर्ग
ये प्रायः संस्कृत उपसर्गों के अपभ्रंश मात्र ही हैं।
उपसर्ग | अर्थ (में) | शब्द-रूप |
अ | अभाव, निषेध | अजर, अछूत, अकाल |
अन | रहित | अनपढ़, अनबन, अनजान |
अध | आधा | अधमरा, अधखिला, अधपका |
औ | रहित | औगुन, औतार, औघट |
कु | बुराई | कुसंग, कुकर्म, कुमति |
नि | अभाव | निडर, निहत्था, निकम्मा |
(ग) उर्दू के उपसर्ग
उपसर्ग | अर्थ (में) | शब्द-रूप |
कम | थोड़ा | कमबख्त, कमजोर, कमसिन |
खुश | प्रसन्न, अच्छा | खुशबू, खुशदिल, खुशमिजाज |
गैर | निषेध | गैरहाजिर, गैरकानूनी, गैरकौम |
दर | में | दरअसल, दरकार, दरमियान |
ना | निषेध | नालायक, नापसंद, नामुमकिन |
बा | अनुसार | बामौका, बाकायदा, बाइज्जत |
बद | बुरा | बदनाम, बदमाश, बदचलन |
बे | बिना | बेईमान, बेचारा, बेअक्ल |
ला | रहित | लापरवाह, लाचार, लावारिस |
सर | मुख्य | सरकार, सरदार, सरपंच |
हम | साथ | हमदर्दी, हमराज, हमदम |
हर | प्रति | हरदिन, हरएक,हरसाल |
(घ) उपसर्ग की तरह प्रयुक्त होने वाले संस्कृत अव्यय
उपसर्ग | अर्थ (में) | शब्द-रूप |
अ (व्यंजनों से पूर्व) | निषेध | अज्ञान, अभाव, अचेत |
अन् (स्वरों से पूर्व) | निषेध | अनागत, अनर्थ, अनादि |
स | सहित | सजल, सकल, सहर्ष |
अधः | नीचे | अधःपतन, अधोगति, अधोमुख |
चिर | बहुत देर | चिरायु, चिरकाल, चिरंतन |
अंतर | भीतर | अंतरात्मा, अंतर्राष्ट्रीय, अंतर्जातीय |
पुनः | फिर | पुनर्गमन, पुनर्जन्म, पुनर्मिलन |
पुरा | पुराना | पुरातत्व, पुरातन |
पुरस् | आगे | पुरस्कार, पुरस्कृत |
तिरस् | बुरा, हीन | तिरस्कार, तिरोभाव |
सत् | श्रेष्ठ | सत्कार, सज्जन, सत्कार्य |