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sAgar dAdA_सागर दादा

sAgar dAdA_सागर दादा

Poetry on Ocean (sAgar)::सागर पर कविता














सागर दादा, सागर दादा,
नदियों झीलों के परदादा।
तुम नदियों को पास बुलाते,
ले गोदी में उन्हें खिलाते।
झीलों पर भी स्नेह तुम्हारा,
हर तालाब तुम्हें है प्यारा।

मेघ तुम्हारे नौकर-चाकर,
वे पानी दे जाते लाकर।
साँस भरी तो ज्वार उठाया,
साँस निकाली भाटा आया।
तुम सबसे हिल-मिल बसते हो,
लहरों में खिल-खिल हँसते हो!

-रामावतार चेतन

AyI barkhA rAnI_आई बरखा रानी

AyI barkhA rAnI_आई बरखा रानी

Poetry on Rain :: बारिश पर कविता



धूप कहीं भागी पिछवाड़े 
छम से आया पानी।
बूंदों के सिक्के उछालती
आई बरखा रानी॥
हवा चली पुरवाई, नभ में
छाई श्याम बदरिया।
बादल लगे गरजने गड़-गड़
चमक रही बिजुरिया॥
झूम-झूम के अाँगन अपनी
भीग नहाती नानी।
खेत भरे भर आई नदिया
भरती ताल-तलैया।
आम नीम महुआ हरियाए
हरियाई है बगिया॥
मौसम आया रिमझिम वाला
लहरे चूनर पानी।
मोर नाचने लगे कुहुक के 
गाती है कोयलिया।
कछुए, बगुले, मेंढक खुश हैं
खुश हैं सोन-मछरिया॥
दोनों हाथ लुटाते दौलत 
बादल भैया दानी।

- शोभा शर्मा

pAnI lEkar bAdal_पानी लेकर बादल

pAnI lEkar bAdal_पानी लेकर बादल

Poetry on bAdal ::बादल पर कविता











पानी लेकर बादल आए,
आसमान पर जमकर छाए।

रिमझिम-रिमझिम बरसेंगे,
गढ़-गढ़कर बादल गाए।

पेड़, पौधे, वृक्ष जहां मिलेंगे
वहां बरसे, बादल इतराए।

मन मयूर सबका नाचे
बादल भी नाचे, शरमाए।

जल ही तो जीवन है
जीवन अपना खूब लुटाए।

- ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'

badE jOr kE bAdal_बड़े जोर के बादल

badE jOr kE bAdal_बड़े जोर के बादल

Poetry on Rain ::बारिश पर कविता















बड़े जोर के बादल आए
बड़े जोर का पानी॥

अभी खिली थी धूप सुनहरी
चलती थी पुरवैया।
नीलम गाती गीत बाजती
ननमुन की पायलिया॥
बीन रही थी गेहूं आंगन
बैठी बूढ़ी नानी।

टप-टप टप-टप गिरी टपाटप
मोटी-मोटी बूंदें।
लगता जैसे टीन छतों पर
हिरणें आकर कूदे॥
दादी-अम्मा की डूबी है
बाहर रखी मथानी।
छप्पर-छान टपकते बहते
छत वाले परनाले।
गिरती हैं कच्ची दीवारें
हैं प्राणों के लाले॥

कैसे घर ये बने दुबारा
जेब न कौड़ी कानी।

-शोभा शर्मा

kAlA dhOlA bAdal_काला-धोला बादल आया

kAlA dhOlA bAdal_काला-धोला बादल आया

Poetry on Rain ::बरसा‍त पर कविता













काला-धोला
बादल आया
संग ये अपने
बरखा लाया।

रिम-झिम का
संगीत सुनाता
खुशियों का
संदेशा लाया।

जंगल महका
चिड़िया चहकी
नाचा मोर
पपीहा गाया।

काला-धोला
बादल आया
वर्षा की
बौछारें लाया।

- रामशंकर चंचल